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Read this article in Hindi to learn about the structure of leech, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
अलवणीय जल में कशेरुकियों पर बाह्य-परजीवी के रूप में रहने वाले इन जन्तुओं को ‘जोक’ कहते हैं ।
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खंडित शरीर, त्रिस्तरीय एवं वास्तविक देहगुहा वाले इन जन्तुओं का वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत – जन्तु-जगत्र (बहुकोशिकीय, विषमपोषी जन्तु)
संघ – एनेलिडा (शरीर विखंडित, देहगुही)
वर्ग – हिरूडिनिया (शरीर के खंडों की संख्या निश्चित, दोनों सिरों पर चूषक)
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वंश – हिरूडो (Hirudo)
जाति – मेडिसिनेलिस (medicinalis)
टिप्पणी:
(1) जोंक तालाबों, दलदली क्षेत्रों में जल में तैरती पायी जाती है तथा भैंस, मछली, मेंढक, मनुष्य एवं अन्य पशुओं पर बाह्य-परजीवी के रूप में रहती है । इसकी जाति का नाम मेडिसिनेलिस इसलिए रखा गया है कि पुराने जमाने में इनका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता था ।
(2) ये अपने पोषक का रक्त चूसते हैं ।
(3) लीच की लम्बाई लगभग 10 से॰मी॰ होती है किन्तु रक्त चूसने से ये 20 से 30 से॰मी॰ तक लम्बे हो जाते हैं ।
(4) पीलापन लिए हुए भूरे रंग के ये जन्तु पृष्ठ-अधर सतह पर चपटे होते हैं । इनका शरीर 33 देहखण्डों में विभक्त होता है । पश्चतम सिरे पर इनका शरीर सर्वाधिक चौड़ा होता है । प्रत्येक देहखण्ड पुन: 2 से 5 उपखण्डों में बँटा होता है । इसीलिए इनके देहखण्डों की गिनती करना आसान नहीं होता ।
(5) अग्र एवं पश्च सिरों पर एक-एक चूषक होता है । अग्र-चूषक गोलाकार एवं अधर सतह की ओर प्यालेनुमा होता है, इसके मध्य में मुख-छिद्र होता है । पश्च-चूषक बड़ा, गोल एवं पेशीय डिस्क के समान होता है । पश्च-चूषक के आधारपर एक गुदा-छिद्र होता है ।
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(6) इनके देह-खण्ड पुन: 3 से 5 खण्डों में विभक्त रहते हैं ।
(7) ये उभयलिंगी होते हैं । दसवें खण्ड के मध्य-अधर सतह पर नर जनन-छिद्र एवं 11वें खण्ड में मादा जनन-छिद्र होते हैं ।