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Read this article in Hindi to learn about the medicinal and economically important plants.
औषधीय पौधे (Medicinal Plants):
प्राचीनकाल से ही मनुष्य रोग निदान के लिये विभिन्न प्रकार के पौधों का उपयोग करता आया है । औषधी प्रदाय करने वाले पौधे अधिकतर जंगली होते हैं । कभी-कभी इन्हें उगाया भी जाता है । पौधों की जड़े, तने, पत्तियाँ, फूल, फल, बीज और यहाँ तक कि छाल का उपयोग भी उपचार के लिये किया जाता है ।
पौधों का यह औषधीय गुण उनमें उपस्थित कुछ रासायनिक पदार्थो से होता है जिनकी मानव-शरीर की क्रियाओं पर विशिष्ट क्रिया होती है । मुख्य औषधीय पौधे अगर एरगोट, एकोनाइट, मुलेठी, जलाप, हींग, मदार, सिया, लहसुन, अदरक, हल्दी, चंदन, बेलाडोना, तुलसी, नीम, अफीम, क्वीनाइन, इत्यादि हैं ।
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इनमें से कुछ के बारे में तुम यहाँ जानकारी प्राप्त करोगे:
1. नीम (Neem):
यह मेलियेसी कुल (Family-Meliaceae) बस सदस्य एजाडिरेक्टा इन्डिका (Azadirachta indica) है । नीम औषधीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है । यह भारत तथा पाकिस्तान में सामान्य रूप से पाया जाता है । पौधे के लगभग सभी भाग जैसे पत्तियाँ, तना, पुष्प, फल आदि काम में आते हैं ।
पौधे की पत्तियाँ पाचक, वातहर (carminative) एवं कफनाशक एक्स्पेक्टोरेन्ट (expectorant) एवं कीटाणुनाशक होती हैं । पत्तियों का रस अनेक त्वचा की बीमारियों तथा पीलिया के उपचार में प्रयुक्त होता है । इसका उपयोग कृमि-नाशक के रूप में भी होता है । हमारे देश में नीम के तने के टुकड़े को दतौन के रूप में प्राचीनकाल से उपयोग में लेते हैं ।
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2. तुलसी (Tulsi):
इसका वानस्पतिक नाम ओसिमस सेक्टम (Ocimum sanctum) है तथा यह लेबियेटी कुल (Family Labiateae) के अन्तर्गत आता है । तुलसी का पौधा धार्मिक तथा औषधीय महत्व का होता है । इसका शाकीय पौधा संपूर्ण भारत में पाया जाता है । तुलसी की पत्तियाँ एक्स्पेक्टोरेन्ट (expectorant), स्फूर्तिदायक एवं नजला जुकाम रोधी (Anticatarhal) होती हैं । इसके अलावा लीवर की बीमारियों, खांसी तथा मलेरिया में भी तुलसी का प्रयोग काहे के रूप में होता है ।
3. बेल:
यह रूटेसी कुल (Family-Rutaceae) का सदस्य है तथा सारे संसार में पाया जाता है । फलों को टॉनिक तथा रक्त प्रवाह रोधी (Astringent) के रूप में काम में लिया जाता है । डाइरिया, आंत की गड़बड़ियों तथा कब्जी के उपचार में यह उपयोगी है । बेल के फलों से एक ताजगीदायक पेय भी बनाया जाता है ।
4. आंवला:
आंवले का वानस्पतिक नाम एम्बलिका आफिसिनेलिस (Emblica officinalis) है तथा यह यूफोरबियेसी कुल के अन्तर्गत आता है । इसके फलों में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है । आंवले के फल शीतलता प्रदान करने वाले (refrigerant), विरेचक (laxative) तथा मूत्र वाही (diuretic) होते हैं । यह हर्र एवं बहेड़ा के साथ त्रिफला चूर्ण के रूप में पेट के विकार तथा आँखों की रोशनी को ठीक करता है आंवले के फल से औषधीय गुणों से युक्त बालों का तेल, मुरब्बा आदि बनाये जाते हैं ।
म.प्र. में मिलने वाले औषधीय पौधों के वानस्पतिक नाम (Botanical names) तथा उनके औषधीय गुणों की संक्षिप्त जानकारी सारणी (table) रूप में दी जा रही है:
आर्थिक महत्व के पौधे (Economically Important Plants):
मनुष्य एवं अन्य सभी जीव-जन्तु प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादप जगत् पर ही निर्भर हैं । उनकी भोजन, वस एवं आवास संबंधी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति विभिन्न प्रकार के जगली पौधों, कृषि-फसलों एवं औषधीय गुणों वाले पौधों से की जाती है ।
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आर्थिक महत्व के पौधों को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है- अनाज, दालें, सब्जी, तेल, फल, शर्करा, मसाले, पेय, टिम्बर रेशे, रबर एवं कागज प्रदान करने वाले । इन सभी उत्पादनों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पौधों के नाम एवं उपयोग संबंधी जानकारी तालिका रूप में दी जा रही है । इनमें से जिन पौधों को आपको देखने का अवसर मिले उसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें ।
1. पौधे का नाम – गेहूँ (Wheat)
वानस्पतिक नाम – ट्राइटिकम (Triticum) वंश की अनेक जातियाँ
उपयोग – मुख्य अनाज के रूप में, बेकरी उद्योग, डंठलों (Straw) का उपयोग पशुओं के चारे एवं अनेक वस्तुओं के निर्माण में ।
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2. पौधे का नाम – मक्का (Maize)
वानस्पतिक नाम – झी मेज़ (Zea mays)
उपयोग – अनाज के रूप में, स्टार्च निर्माण उद्योग, लॉन्ड्री पावडर, ग्लूकोज एवं एल्कोहल निर्माण में उपयोगी ।
3. पौधे का नाम – चावल (Rice)
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वानस्पतिक नाम – ओराइज़ा सटाइवा (Oryza sativa)
उपयोग – प्रमुख अनाज के रूप में, रोगियों को पथ्य के रूप में, स्टार्च, अल्कोहल उद्योग में, छिलके का भूसा जूते, टोप, गत्ते निर्माण में उपयोगी ।
4. पौधे का नाम – ज्वार (Sorghum)
वानस्पतिक नाम – सारगम बुल्गेर (Sorghum Vulgare)
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उपयोग – मोटा अनाज, हरे एवं सूखे पौधों के डंठल पशुओं के चारे के रूप में । औद्योगिक रूप से ब्रश, सिरप, कागज, स्टार्च, अल्कोहल आदि के निर्माण में ।
दलहन फसलें:
1. पौधे का नाम – चना (Gram)
वानस्पतिक नाम – साइसर एरीटियम (Cicer arietium)
उपयोग – दाल, बेसन के रूप में, पौष्टिक एवं विटामिन युक्त
2. पौधे का नाम – मूंग (Moong bean)
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वानस्पतिक नाम – फेसियोलस मुंगों (Phaseolous Mungo)
उपयोग – दाल पौष्टिक एवं मरीजों के पथ्य के रूप में उपयोगी
3. पौधे का नाम – उड़द (Urd)
वानस्पतिक नाम – फेसियोलस रेडिएटस (P. Radiatus)
उपयोग – दाल के रूप में, आटे का उपयोग व्यंजन निर्माण में, गठिया एवं लकवे रोगियों के लिए उपयोगी
4. पौधे का नाम – अरहर या तुवर (Pigeon pea)
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वानस्पतिक नाम – केजेनस इंडिकस (Cajanus Indicus)
उपयोग – दाल के रूप में सूखे पौधे ईंधन, छत ढँकने आदि में उपयोगी
तिलहन फसलें:
1. पौधे का नाम – कपास के बिनौले (Cotton seed)
वानस्पतिक नाम – गौसिपियम स्पी. (Gossypium Sp.)
उपयोग – इसके तेल का उपयोग प्रमुख रूप से वनस्पति घी निर्माण, साबुन एवं जल अवरोधक शीट निर्माण ।
2. पौधे का नाम – तिल (Sesame)
वानस्पतिक नाम – सीसेमम इंडिकम (Sesamum indicum)
उपयोग – खाद्य-तेल का निर्माण, साबुन तथा केश-तेल निर्माण ।
3. पौधे का नाम – सूरजमुखी (Sunflower)
वानस्पतिक नाम – हेलीएथस एन्न्स (Helianthus annus)
उपयोग – खाद्य-तेल, वनस्पति घी, साबुन, वार्निश, पेंट उद्योग में भी उपयोगी ।
4. पौधे का नाम – नारियल (Coconut)
वानस्पतिक नाम – कोकस न्यूसिफेरा (Cocos nucifera)
उपयोग – दक्षिण भारत का प्रमुख खाद्य-तेल शेष भारत का प्रमुख केश तेल, साबुन, शेम्पु, सौदर्य प्रसाधन ।
5. पौधे का नाम – मूँगफली (Ground nut)
वानस्पतिक नाम – एरेकिस हाइपोजिसा (Arachis hypogaea)
उपयोग – शेविंग क्रीम निर्माण में उपयोगी ।
सब्जियाँ एवं कन्द-मूल:
1. पौधे का नाम – गाजर (Carrot)
वानस्पतिक नाम – केरोटा (Dacus carota)
उपयोग – जड़ें खाद्य-संग्रह के रूप में रूपान्तरित, विटामिन ‘A’ का प्रमुख स्रोत ।
2. पौधे का नाम – शलगम (Turnip)
वानस्पतिक नाम – ब्रेसिका रेपा (Brassia Rapa)
उपयोग – मूसला जड़ गूदेदार-सलाद के रूप में उपयोग । यूरोप के देशों में शर्करा निर्माण ।
3. पौधे का नाम – प्याज (Onion)
वानस्पतिक नाम – एलियम सेपा (Allium cepa)
उपयोग – भूमिगत बत्व रूपी तना अत्यन्त उपयोगी । औषधीय उपयोग ।
4. पौधे का नाम – लहसून (Garlic)
वानस्पतिक नाम – एलियम स्टाइवम (Allium sativum)
उपयोग – प्याज के समान भूमिगत रूपान्तरित बल्व महत्त्वपूर्ण खाद्य एवं औषधीय गुणों से भरपूर । जीवाणुनाशक गुण होते हैं ।
5. पौधे का नाम – गोभी (Cabbage)
वानस्पतिक नाम – ब्रेसिका ओलिरेसिया (Brassica Oleracea)
उपयोग – पत्तागोभी सलाद एवं सब्जी के रूप में तथा फूलगोभी सब्जी के रूप में । विटामिनों एवं सल्फरयुक्त ।
6. पौधे का नाम – बैंगन (Brinjal)
वानस्पतिक नाम – सोलेम मिलोनजिना (Solanum melongena)
उपयोग – लौह तत्व से भरपूर सब्जी ।
7. पौधे का नाम – भिंडी (Lady’s Finger)
वानस्पतिक नाम – हिबिस्कस एस्क्यूलेंट्स (Hibiscus Esculentus)
उपयोग – फल सब्जी के रूप में । बीजों का औषधीय उपयोग ।
8. पौधे का नाम – टमाटर (Tomato)
वानस्पतिक नाम – लाइकोपर्सिकम एस्क्यूलेंटम (Lycopersicum Esculentum)
उपयोग – इसके बेरी प्रकार के फल सब्जी, सूप एवं सास निर्माण में उपयोगी ।
9. पौधे का नाम – मटर (Sweet pea)
वानस्पतिक नाम – पाइसम सटाइवम (Pisum sativum)
उपयोग – फली एवं बीज खाने के उपयोग में । भरपूर प्रोटीन एवं अनेक खनिज लवणों से युक्त सर्वाधिक लोकप्रिय सब्जी ।
10. पौधे का नाम – आलू (Potato)
वानस्पतिक नाम – सोलेनम ट्यूबेरोसम (Solanum tuberosum)
उपयोग – भूमिगत ट्यूबर सब्जी के अलावा स्टार्च निर्माण में उपयोगी ।
फल:
1. पौधे का नाम – सेव (Apple)
वानस्पतिक नाम – पायरस मेलस (Pyrus malus)
उपयोग – पोम प्रकार के पौष्टिक लौह तत्त्व से युक्त फल, जेली, मुरब्बा, सॉफ्ट ड्रिंक, एल्कोहालिक पैय आदि के निर्माण में उपयोगी ।
2. पौधे का नाम – केला (Banana)
वानस्पतिक नाम – मूसा सोपिएन्टम (Musa sapientum)
उपयोग – अत्यन्त पौष्टिक, विटामिन (A, B, C, D, एवं E), पोटेशियम, कैल्सियम, लौह एवं फॉस्फोरस तत्वों से भरपूर ।
3. पौधे का नाम – अमरूद (Guava)
वानस्पतिक नाम – सिडियम ग्वाजावा (Psidium guajava)
उपयोग – विरेचक (Laxative) गुण वाला विटामिन A, B, एवं C से भरपूर । जेम एवं जेली निर्माण में उपयोगी ।
4. पौधे का नाम – आम (Mango)
वानस्पतिक नाम – मेगीफेरा इन्डिका (Mangifera indica)
उपयोग – ड्रूप प्रकार का यह फल अत्यन्त स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है । विटामिन ‘A’ का महत्त्वपूर्ण स्रोत है । भारत सबसे बड़ा उत्पादक देश है ।
5. पौधे का नाम – पपीता (Papaya)
वानस्पतिक नाम – केरिका पपैया (Carica papaya)
उपयोग – गूदेदार, स्वादिष्ट, पौष्टिक, ताजगीदायक, पाचक एवं विरेचक गुणों वाला फल है । कच्चे फलों के दूध जैसे लेटेक्स से पेपेन नामक पाचक एन्जाइम बनाया जाता है । लेटेक्स से च्युईंगम गम बनती हैं ।
शर्करा (Sugars):
1. पौधे का नाम – गन्ना (Sugarcane)
वानस्पतिक नाम – सेकेरम ऑफिसिनेरम (Saccharum Officinarum)
उपयोग – गुड़, खांडसारी एवं शकर निर्माण हेतु प्रमुख पौधा ।
रेशे (Fibres):
1. पौधे का नाम – कपास (Cotton)
वानस्पतिक नाम – गासिपियम स्पी. Gossipium Sp.
उपयोग – कपड़ा उद्योग में उपयोगी । रस्सियाँ एवं विभिन्न प्रकार के दागों का निर्माण ।
2. पौधे का नाम – जूट (Jute)
वानस्पतिक नाम – कोरकोरस स्पी. Corchorus Sp.
उपयोग – संसार में हमारा देश जूट उत्पादन में अग्रणी, लम्बे रेशे, बारदान, फर्श कालीन, दरियाँ, रस्सी आदि के निर्माण में उपयोगी ।
3. पौधे का नाम – सागौन (Teak)
वानस्पतिक नाम – टैक्टोना ग्रैन्डिस Tactona grandis
उपयोग – उत्तम किस्म की लकड़ी-इमारतों, फर्नीचर, रेलवे स्लीपर, नाव-निर्माण में अत्यधिक उपयोगी म.प्र. का सागौन सर्वाधिक श्रेष्ठ किस्म का माना जाता है ।
4. पौधे का नाम – साल (Seal)
वानस्पतिक नाम – शोरिया रोबस्टा Shorea robusta
उपयोग – खिड़की-दरवाजे, फर्नीचर, रेलवे स्लीपर, तम्बू के पोल, ट्रक बॉडी, गाड़ी के पहिये निर्माण में उपयोगी ।
5. पौधे का नाम – शीशम
वानस्पतिक नाम – डाल्बर्गिया सिस्सू Dalbergia sissoo
उपयोग – भवन निर्माण, खेती-किसानी के औजार, खेलकूद का सामान बनाने में उपयोग । लकड़ी अधिक मजबूत एवं टिकाऊ होती है ।
6. पौधे का नाम – कॉर्क
वानस्पतिक नाम – क्वेर्कस सुबेर Quercus suber
उपयोग – पेड़ की छाल से कॉर्क बनाया जाता है । यह हल्का जलरोधी, ऊष्मारोधी एवं टिकाऊ होता है ।
7. पौधे का नाम – बाँस (Bamboo)
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वानस्पतिक नाम – डेंड्रोकेलेमस स्ट्रिक्टस (Dendrocalamus strictus)
उपयोग – गरीबों की झोपड़ी, चटाइयाँ, बास्केट निर्माण के अलावा कागज निर्माण ।
8. पौधे का नाम – गोंद (Gum)
वानस्पतिक नाम – एकेसिया सेनेगल Acacia Senegal
उपयोग – बबूल एवं अन्य पेड़ों की छाल से प्राप्त । औषधी, मिठाइयाँ, स्याही, कपड़ों को रंगने संबंधी उद्योगों में उपयोगी । प्रिंटिंग, कागज उद्योग एवं चिपकाने का सामान बनाने में भी उपयोगी ।
9. पौधे का नाम – रबर (Rubber)
वानस्पतिक नाम – हेविया ब्रेसिनिएन्सिस Hevea brasiliensis
उपयोग – पौधों के तने से लेटेक्स रूपी पदार्थ से बनता है ।
10. पौधे का नाम – टेनिन (Tannins)
उपयोग – जैसे: बबूल, बेर, अर्जुन, ओक आदि अनेक जंगली वृक्षों की छाल, पत्ती, फल, जड़, लकड़ी से निकले रासायनिक पदार्थ जो चमड़ा पकाने में उपयोगी होते हैं ।
11. पौधे का नाम – कत्था (Catachu)
वानस्पतिक नाम – एकेसिया केटेचु Acacia catechu
उपयोग – यह एक औषधीय गुणों वाला पदार्थ बबूल के समान अन्य जंगली वृक्षों की लकड़ी को उबालने से प्राप्त होता है ।
12. पौधे का नाम – लाख (Lac)
उपयोग – कुसुम, बेर, पलाश आदि जंगली पेड़ों पर लाख के कीड़े द्वारा स्रावित पदार्थ । अत्यन्त आर्थिक महत्त्व के उद्योगों में काम आता है । ज्वलनशील पदार्थ है ।