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Read this article in Hindi to learn about the process of cell division, explained with the help of suitable diagrams.
(1) समसूत्री विभाजन (Mitosis):
उद्देश्य:
जड़ के सिरे (root tip) की कोशिकाओं में समसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं का अवलोकन ।
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आवश्यक सामग्री:
प्याज की जड़ों के सिरे, FAA घोल, IN HCL, स्प्रिट लैंप, एसिटोकार्मिन स्टेन (stain) का घोल, नीडल, स्लाइड, कव्हर ग्लास, वाच ग्लास, फोरसेप्स ड्रॉपर आदि ।
प्याज की जड़ों के लिए प्रयोग करने के 5-7 दिन पूर्व 2-3 प्याज लेकर उन्हें किसी पानी से आधे भरे ग्लास के ऊपर रख दें । प्याज को पानी से न छूने दें । अब इस ग्लास को थोड़ा अंधेरे में रखें एवं प्रतिदिन अवलोकन करें, जब जड़ें लगभग 1 से 2 से.मी. लम्बी निकल आएँ तब सुबह के लगभग 8 बजे उनके 2-3 मि॰मि॰ सिरे काटकर एक छोटी बोतल जिसमें (FAA) घोल हो डाल कर रख दें ।
FAA घोल:
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इस घोल को तैयार करने के लिए फोर्मेलिन, एसेटिक एसिड एवं 90% एल्कोहल को बराबर मात्रा में लेकर मिला दें, FAA घोल तैयार है ।
विधि:
(1) FAA घोल में रखे प्याज की जड़ के 2-3 टुकड़े लेकर उन्हें वाच ग्लास में रखें तथा जल से धो लें ।
(2) अब जड़ के सिरों को एक स्लाइड पर रखकर उन पर IN HCL की कुछ बूंदे डालें एवं स्लाइड को स्प्रिट लैंप पर हल्का सा गर्म करें । इसे आलपिन या नीडल से हल्का सा खरोंच (tease) दें ।
(3) अब मटेरियल पर एसिटोकार्मिन घोल की कुछ बूँदे डालकर स्लाइड को फिर हल्का सा गर्म करें एवं उस पर 2-3 बूँदें एसिटोकार्मिन की और डाल दें तथा कव्हर ग्लास से ढँक दीजिए ।
(4) कव्हर ग्लास को ऊपर से हल्का-सा दबा दें एवं स्लाइड को सूक्ष्मदर्शी में अवलोक-न करें ।
अवलोकन:
स्लाइड को पहले low power एवं बाद में high power में देखें तथा विभाजित होती कोशिकाओं में समसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं- प्रोफेज, मेटाफेज, एनाफेज एवं टिलोफेज ढूँढने का प्रयास करें एवं साथ में दिए चित्रों से मिलान करें ।
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नोट:
उक्त अवस्थाओं को प्रदर्शित करने वाली स्थाई स्लाइडों का अवलोकन भी
करें ।
(2) अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis):
कोशिकाओं में अर्द्धसूत्री विभाजन की अवस्थाओं का अवलोकन करने के लिए उपरोक्त वर्णित विधि ही अपनाई जाती है । किन्तु चूंकि अर्द्धसूत्री विभाजन जनन-कोशिकाओं में होता है इस हेतु जड़ के सिरों के बजाए प्याज के पुष्पक्रम से नवजात कलियों (young buds) को लेकर FAA घोल में सुरक्षित रख लिया जाता है । जब प्रयोग करना हो तब कलिका खोलकर उनमें से पराग कोश लेकर सारी विधि उसी तरह की जाती है जो जड़ के सिरों के साथ की थी । हाँ, इसमें IN HCL डालने की आवश्यकता नहीं है ।