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This article provides a paragraph on AIDS especially written in Hindi language.
एडस् (AIDS) का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफीशिएन्सी सिन्ड्रोम है । यह बहुत ही घातक रोग है । जो शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र को प्रभावित करता है । इस कारण मनुष्य की रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है ।
रोग होने का कारण:
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एडस् HIV नामक वायरस के कारण होता है ।
रोग फैलता कैसे हैं:
i. संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में इस रोग का संक्रमण प्राय: यौन संबंधों के दौरान,
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ii. रक्त लेते समय एवं इंजेकशन लगवाते समय दूषित सुई से,
iii. ब्लेड से, उस्तरे से तथा नाई द्वारा काम में लाए जाने वाले धारदार उपकरणों से होता है ।
iv. मां को AIDS है तो उसके गर्म में पल रहे बच्चे को भी एड्स हो सकता है ।
लक्षण:
i. लसीका ग्रंथियों में सूजन आती है ।
ii. रक्त की ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आती है, जिससे-ज्वर तथा रक्त स्राव होता है ।
iii. रात्रि के समय पसीना आना ।
iv. शरीर के वजन में कमी आती है ।
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v. स्मृति कम होने लगती है । बोलने में कठिनाई तथा सोचने की क्षमता में कमी होने लगती है ।
vi. प्रतिरोधी क्षमता कम होने के कारण अन्य रोगों के संक्रमण का खतरा बढ जाता है ।
बचाव:
i. दाढ़ी बनाने के पूर्व यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक ही उस्तरे से सभी की दाढ़ी नहीं बनाए । दाढ़ी बनाने के लिए एक ही ब्लेड का प्रयोग न करें ।
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ii. रक्त चढ़ाने से पूर्व रक्त का HIV परीक्षण अवश्य कराना चाहिए ।
iii. सीरिंज और इंजेकशन की सुई को उपयोग के बाद नष्ट करना चाहिए ।
iv. संयमित जीवन शैली अपनाना चाहिए ।
नियंत्रण:
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i. एड्स से बचने के लिए अभी कोई प्रभावी उपचार की खोज नहीं हो पाई है । एडस् का बचाव ही उसका उपचार है ।