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Read this article in Hindi to learn about the sensory adaptations in human body.
प्राणी के संवेदी तन्त्र (Sensory System) वातावरण में होने वाले परिवर्तनों हेतु अत्यधिक संवेदनशील होते हैं । वास्तव में संवेदी न्यूरोन (Sensory-Neurons) किसी स्थिर उद्दीपक (Constant Stimulus) हँतु धीरे-धीरे अपनी क्रियाशीलता को कम करते हुए अनुक्रिया करता है ।
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मनोवैज्ञानिकों ने परिवर्तन न होने वाले उद्दीपक (Unchanging Stimulus) हेतु इस प्रकार के ह्रासमान संवेदनशील (Diminishing Sensitivity) को संवेदी अनुकूलन (Sensory Adaptation) की संज्ञा दी गई है । प्राय: इसे अभ्यसन (Habituation) भी कहा जाता है ।
संवेदी अनुकूलन में इस प्रकार से अग्रलिखित दो बातें मुख्य होती हैं:
(i) संवेदी अनुकूलन की घटना घटित होने के लिए वातावरण के उद्दीपक में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन न हो, अभिप्राय यह है, उसका स्वरूप अपरिवर्तनशील हो ।
(ii) संवेदी अनुकूलन की घटना में प्राणी के संवेदी न्यूरोन (Sensory Neuron)
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धीर-धीरे परिवर्तित न होने वाले उद्दीपक हेतु अपनी अनुक्रियाशीलता में कमी कर देता है ।
कुछ उदाहरणों के द्वारा हम संवेदी अनुकूलन की घटना को इस प्रकार समझा सकते हैं-जब व्यक्ति गरम पानी में अपना हाथ डालते हैं, तो पहले व्यक्ति को अधिक गर्माहट का अनुभव होता है, क्योंकि जब व्यक्ति संवेदी न्यूरोन तापक्रम में प्रयुक्त परिवर्तन हेतु अपनी अनुक्रिया करता है ।
किन्तु कुछ समय के पश्चात् गर्माहट का अनुभव इसलिए कम लगता है, क्योंकि हाथ का संवेदी न्यूरोन्स पानी के स्थिर तापक्रम हेतु अपनी अनुक्रियाशीलता में कमी करना शुरू कर देता है ।
जब व्यक्ति हाथ में घड़ी पहनता है, तब उसे शुरू में थोड़ा भारीपन का संवेदन होता है, किन्तु कुछ समय के पश्चात् खत्म हो जाता है और उसके बाद उसे हाथ में घड़ी होने का आभास भी नहीं होता है । ऐसा संवेदी अनुकूलन (Sensory Adaptation) के कारण होता है ।
संवेदी अनुकूलन के कुछ गुण हैं, तो कुछ दोष भी । इनका सबसे बड़ा गुण यह है, कि इससे व्यक्ति अनुकूली (Adaptive) हो जाता है, तथा उसे वातावरण से प्रयुक्त होने वाली उत्तेजनाओं हेतु रोजाना नये तरीके से अनुक्रिया नहीं करनी पड़ती है । संवेदी अनुकूलन से दोष भी होते हैं ।
जैसा कि सभी जानते है, कि लगभग एक मिनट के पश्चात् अधिकतर गन्धों (Odors) हेतु व्यक्ति की संवेदनशीलता (संवेदी अनुकूलन के कारण) 70 प्रतिशत कम हो जाती है । निष्कर्ष यह निकलता है, कि यदि ग्रन्ध में कुछ जहरीले अंश है तब व्यक्ति उसके प्रति अंसवेदनशील होकर उसका गन्ध ग्रहण करते रहेंगे जिससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा ।
अत: निष्कर्षत: कहा जा सकता है, कि प्राणी के जीवन में संवेदी अनुकूलन की घटना एक अत्यधिक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके गुण एवं दोष दोनो ही पक्ष होते हैं ।