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Read this article in Hindi to learn about the necessary elements involved in sensation that occurs in human body.
Element # 1. गुण (Quality):
संवेदना के कुछ गुण होते हैं, जिनके आधार पर उनमें भिन्नता का प्रभाव पाया जाता है । उदाहरणार्थ – देखने की सवेदना सूँघने की संवेदना से भिन्न है, इसी प्रकार सुनने की संवेदना स्पर्श करने की संवेदना से भिन्न है । चूंकि देखने की संवेदना में विभिन्न प्रकार के रंगों का, चित्रों का व दृश्यों आदि का समावेश है, जबकि सूँघने की संवेदना अच्छी-बुरी गन्ध की ओर संकेत करती है ।
इसी प्रकार कानों में विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ पहुँचती हैं, जो शोरगुल अथवा वार्तालाप या फिर किसी और आवाजों से सम्बन्धित होती हैं, जबकि स्पर्श करने की संवेदना गीला-सूखा, ठण्डा-गर्म, झन झनाहट आदि से जुड़ी होती है । इसलिए संवेदना के गुण भिन्न-भिन्न संवेदनाओं के अनुसार होते हैं ।
Element # 2. तीव्रता (Intensity):
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तीव्रता के सन्दर्भ में वेबर महोदय ने अनेक प्रयोग किये और निष्कर्ष निकाला कि उद्दीपन के अनुपात के अनुसार ही वृद्धि या कमी होने से संवेदना के भेद का ज्ञान हो सकता है । फेचनर व वेबर ने इन अध्ययनों के आधार पर प्रबलता एवं तीव्रता के सम्बन्धों को समझने का प्रयास किया ।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति को 15०C तापमान का स्पर्श दिया जाये तो वह उसके लिए सामान्य अनुभव होगा । उसे 2०C तापमान का और अधिक स्पर्श दिया जाये तो भी सामान्य रूप से तीव्रता का अनुभव करेगा ।
यदि इसके स्थान पर 30०c तापमान का स्पर्श दिया जायेगा तो वह उस तापमान की भिन्नता को समझ सकेगा जो उसे पूर्व में दिया गया था । इस प्रकार स्पष्ट है, कि उद्दीपन के भेद का ज्ञान उसके अनुपात की तीव्रता व प्रबलता की ओर संकेत करता है ।
Element # 3. अवधि (Duration):
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जिस प्रकार तीव्रता का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है, ठीक उसी प्रकार अवधि में भी अन्तर होता है । भिन्न-भिन्न प्रकार की संवेदनाओं के अनुभव में अवधि भी अनिवार्य तत्व के रूप में कार्य करती है ।
उदाहरण के लिए गोली दागी जाये तो उसकी गति से अधिक प्रकाश की गति होगी क्योंकि गोली चलने पर ध्वनि की गति सम्बन्धी संवेदना देर में होगी जबकि प्रकाश की संवेदना अधिक शीघ्रता से होगी तत्पश्चात् ध्वनि की संवेदना होगी ।
अत: स्पष्ट है, कि उद्दीपक की गति में भिन्नता होने के कारण संवेदना की अवधि में भी अन्तर होता है, तथा संवेदनाएँ एक साथ एक अवधि में सक्रिय हों ऐसा सम्भव नहीं है, अर्थात् भिन्न-भिन्न संवेदनाओं की अवधि भिन्न-भिन्न अन्तरालों में सक्रिय होती हैं ।
Element # 4. विस्तृतता (Extensity):
संवेदना सम्बन्धी अनिवार्य तत्वों में विस्तृतता भी संवेदना पहचानने में सहायक होती है । उदाहरण के लिए – गन्ध की संवेदना उसके विस्तार पर निर्भर करती है, अर्थात् वह गन्ध कितनी दूर तक फैल सकती है? यह तत्व संवेदना के विस्तार के साथ व्यक्ति की ग्रहण शक्ति के ऊपर भी निर्भर करता है ।
यथा, घ्राणेन्द्रिय के विकृत होने पर या विस्तार को ग्रहण करने की क्षमता व्यक्ति में न होने पर विस्तार की संवेदना नहीं हो सकती । इसके अतिरिक्त विस्तार किसी सवेदना में नही हो सकता । अत: स्पष्ट है, कि सवेदना का भेद विस्तृतता के आधार पर किया जाता है ।
Element # 5. स्थानीय चिन्ह (Local Sign):
संवेदना के लिये उसके ग्रहण के स्थान की निश्चितता आवश्यक है । व्यक्ति के शरीर में भिन्न-भिन्न संवेदना के ग्रहण करने के लिये भिन्न-भिन्न स्थान निश्चित हैं, उदाहरणार्थ गज की संवेदना नाक को तथा ध्वनि की संवेदना कान को ही होगी कान गज की संवेदना को ग्रहण नहीं कर सकता तथा नाक ध्वनि को ग्रहण नहीं कर सकती इस प्रकार स्पर्श के लिये त्वचा स्वाद के लिये जिह्वा और रंगो की पहचान के लिये आँखें हैं ।
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अत: स्पष्ट है, कि संवेदना हेतु विभिन्न प्रकार के स्थानीय चिन्हों का महत्व अनिवार्य तत्व के रूप में होता है ।
Element # 6. स्पष्टता (Clearness):
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स्पष्टता संवेदना के लिये आवश्यक तत्व है । स्पष्टता से सम्बन्धित तीन प्रकार की स्थितियाँ सम्भव हैं; यथा-अस्पष्ट होना कम स्पष्ट होना व तीव्र स्पष्ट होना । इनमें संवेदना के लिये अस्पष्टता निरर्थक होती है, कम स्पष्ट संवेदनाएँ शीघ्र प्रभावित नहीं होतीं सामान्य रूप से तीव्र संवेदनाएँ ही स्पष्ट होती है ।
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अति तीव्र अथवा अति मन्द संवेदनायें स्पष्ट नहीं होतीं । उदाहरणार्थ – यदि कोई धनि कानों में मन्द गति से आती है, तो उसकी ओर कान उत्तेजित नहीं हो पाता और यदि अति तीव्रता से आती है, तो व्यक्ति कान बन्द कर लेता है । इस प्रकार सामान्य तीव्रता से जो ध्वनि आती है, वही संवेदना कहलाती है ।
उपर्युक्त सभी अनिवार्य तत्वों के आधार पर आपने समझा कि संवेदना का विभेदीकरण भी भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है । मनोवैज्ञानिकों ने कहा है, कि संवेदना में अनेक गुणों का समावेश होता है, इसीलिए संवेदना का विभाजन करना सम्भव हो पाता है ।
संवेदनाओं की कुछ विशेषताएँ भी हैं, जो कि निम्नवत् हैं:
(i) संवेदनाओं में विभिन्न प्रकार के गुणों का समावेश होता है ।
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(ii) संवेदना में विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों के अन्तर्गत होने वाली अनुक्रियाओं की तीव्रता भिन्न-भिन्न होती है ।
(iii) तीव्रता संग्राहकों के स्वरूप पर निर्भर होकर उत्तेजक के गुण एवं धर्म से सम्बन्धित संवेदना का सकेत देती है ।
(iv) संवेदनाएँ गुणधर्म एव तीव्रता के आधार पर भिन्न-भिन्न होती हैं ।
(v) संवेदनाओं में अवधि के आधार पर भी भिन्नता पाई जाती है ।
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(vi) संवेदनाओं की धारक व अनुभव की क्षमताओं में स्पष्टता का प्रभाव होता है ।
(vii) संवेदना को गुण तीब्रता अवधि एवं पूर्व बिन्दुओं के आधार पर स्पष्टता से जोड़ा गया है ।
(viii) संग्राहक के उत्तेजित भाग के अनुसार ही संवेदना के ज्ञान का प्रभाव होता है ।
(ix) संवेदना में स्थानीयकरण की प्रवृत्ति का प्रभाव पाया जाता है ।
(x) संवेदना के गुणों में एक गुण स्थानीय चिह्नीकरण एवं विस्तृतता का भी होता है ।