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Read this article in Hindi to learn about the structure of spirogyra, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
यह अलवणीय जल के जलाशयों में पाया जाने वाला तन्तुरूपी हरा शैवाल है । इसकी आयताकार कोशिका में कुंडलित रिबन जैसा क्लोरोप्लॉस्ट इसकी खास पहचान है ।
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वर्गीकरण में इसका स्थान निम्नानुसार है:
जगत् – पादप-जगत् (यूकैरियोटिक बहुकोशिक शैवाल)
डिविजन- क्लोरोफाइटा (हरे शैवाल, क्लोरोफिल a वें b उपस्थित)
वंश – स्पाइरोगाइरा (Spirogyra)
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टिप्पणी:
(i) यह तालाबों, खाइयों, झरनों एवं धीमे बहने वाली नदियों में कचरे आदि के बीच तन्तु के रूप में तैरता पाया जाता है ।
(ii) प्रत्येक तन्तु हरे रंग का अशाखित एवं चिकना होता है । तन्तु कुछ इंच तक लम्बे होते हैं ।
(iii) तन्तु की कोशिकाएँ आयताकार एवं एक के पीछे एक पंक्तिबद्ध होती हैं ।
(iv) प्रत्येक कोशिका के मध्य एक केन्द्रक एवं कोशिका-द्रव्य धारियों के रूप में होता है । इस कारण से रिक्तिका कई हिस्सों में बँट जाती है ।
(v) हरा क्लोरोप्लॉस्ट रिबन के समान चपटा एवं सर्पिल रूप में (spirally coiled) व्यवस्थित होता है ।
(vi) केवल लैंगिक-जनन होता है जो सीढ़ीनुमा या पार्श्व-संयुग्मन (scalariform or lateral conjugation) विधि से सम्पन्न होता है । कभी-कभी तन्तु टूटने से अलैंगिक प्रजनन भी हो जाता है ।
(vii) ये प्रकाश-संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं निर्माण करते हैं अत: स्वपोषी होते हैं ।