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Read this article in Hindi to learn about the structure of pinus, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
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शंकु आकार के चीड़ के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष ठंडे पहाड़ों पर होते हैं । कुछ प्रकार की जाति के पौधों को बाग-बगीचों में गमलों में लगाया जाता है ।
इनका वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत् – वनस्पति-जगत् (हरे, बहुकोशिकीय, स्वपोषी)
डिविजन – ट्रेकियोफाइटा (संवहन ऊतक उपस्थित)
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उपडिवीजन- स्पर्मोप्सिडा (पुष्पीय एवं बीज धारण करने वाले)
वर्ग – जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी पौधे)
वंश – पाइनस (Pinus)
टिप्पणी:
(1) पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय पर्वत शृंखलाओं में लगभग 10,000 फुट ऊँचाई पर चीड़ के ऊँचे शंकु आकार वृक्ष बहुतायात से होते हैं ।
(2) चीड़ लगभग 125 फुट तक ऊँचे एवं 8-9 फुट मोटाई के तने वाले वृक्ष होते हैं ।
(3) इनकी मूसला जड़ (tap root) पूर्ण विकसित होती है एवं तने से अनेक शाखाएँ निकलती हैं । तने पर शल्कों का आवरण होता है जो छाल के रूप में निकलते रहते हैं । तने की शाखाओं पर अनेक हरी लम्बी सुई जैसी पत्तियाँ होती हैं ।
(4) तने की शाखाएँ दो प्रकार की होती हैं- असीमित वृद्धि वाली लम्बी शाखाएँ एवं सीमित वृद्धि वाली बौनी शाखाएँ सुई के आकार की पत्तियाँ इन्ही बौनी शाखाओं पर होती हैं । इनके अलावा छोटी शल्की पत्तियाँ (scaly leaves) दोनों प्रकार की शाखाओं पर उत्पन्न होती हैं ।
(5) मूल वृक्ष स्पोरोफाइट अवस्था दर्शाता है । यह अलैंगिक जनन द्वारा नर एवं मादा प्रकार के शंकु (cones) उत्पन्न करता है, इन्हें नर एवं मादा स्ट्रोबाइला (strobila) भी कहते हैं ।
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(6) नर शंकु प्रत्येक वर्ष वृक्ष की शाखाओं के शीर्ष पर झुंड के रूप में उत्पन्न होते हैं एवं लगभग एक इंच लम्बे होते हैं ।
(7) मादा शंकु अकेले या झुंड में लगभग 2 से 4 इंच लम्बे होते हैं ।
(8) नर एवं मादा शंकु से युग्मक निर्मित होते हैं । लैगिक-जनन द्वारा भ्रूण बनता है । फल नहीं बनते अत: बीज अनावृत (naked or exposed) होते हैं । इसीलिए इन्हें अनावृतबीजी पौधे (Gymnosprem) कहते हैं ।
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(9) चीड़ आर्थिक महत्व के वृक्ष होते हैं।