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Read this article in Hindi to learn about the structure of moss-funaria, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
वर्षा-ऋतु में नम दीवारों, नम भूमि आदि पर हरे मखमल की तरह बिछी काई प्राय: माँस पौधों की होती हैं ।
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इनका वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत् – पादप-जगत् (हरे, बहुकोशिकीय, स्वपोषी)
डिविजन- ब्रायोफाइटा (चपटे या खड़े पौधों के समान संवहन ऊतक नहीं, भ्रूणावस्था होती है)
वर्ग – मसाई (पुष्पीय पौधों के समान खड़े पौधे)
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वंश – फ्यूनोरिया (Funaria)
टिप्पणी:
(i) यह पेड़ों की गीली छाल, पुरानी नम दीवार या अन्य नम स्थानों पर पाया जाता है ।
(ii) यह लगभग 2 से 3 से॰मी॰ ऊँचा पौधा है । आरम्भ में पौधा युग्मकोद्भिद अवस्था में होता है एवं उसके शीर्ष से बीजाणुद्भिद जन्म लेता है ।
(iii) माँस पौधे का युग्मकोद्भिद भूमि के मूलाभास द्वारा पकड़ बनाता है एवं भूमि के ऊपर छोटे से अंक पर सर्पिल तरीके से जमी हुई सूक्ष्म हरी पत्तियाँ होती हैं जो शीर्ष की ओर अधिक संख्या में होती हैं अत: न तो वास्तविक तना एवं न ही जड़ें वास्तविक होती हैं ।
(iv) बीजाणुद्भिद हिस्सा जो युग्मकोद्भिद के शीर्ष से निकलता है, तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- पाद (foot), संपुट-वृन्त (seta) एवं संपुट (capsule) ।
(v) संपुट ऊपर से छदिका से ढँका होता है । संपुट में ही बीजाणु निर्माण होता है । बीजाणुओं से युग्मकोद्भिद पौधे का जन्म होता है ।
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(vi) रिक्सिया की तरह इनमें भीनियमित पीढ़ी एकान्तरण होता है ।