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Read this article in Hindi to learn about the structure of lichens, explained with the help of a suitable diagram.
लाइकेन वनस्पति नम चट्टानों, पेड़ों की छालों आदि पर चट्ठे के समान दिखाई देते हैं । यह वनस्पति एक ऐसा समूह है जिसमें एल्गी एवं फन्जाई समूह के तन्तु एक साथ रहकर सहजीवता प्रदर्शित करती हैं । प्राय: एस्कोमाइकोटा या बेसिडियोमाइकोटा डिविजन के फन्जाई एवं क्लोरोफाइटा (ग्रीन एल्गी) या सायनोफाइटा (ब्लू-ग्रीन एल्गी) के मध्य सहजीविता होती है ।
जिस तरह का फंगस हो उसी के अनुसार इनका वर्गीकरण किया जाता है अर्थात् ये एस्कोलाइकेन एवं बेसिडियोलाइकेन हो सकते हैं । इनकी सहभागिता में शैवाल तन्तु प्रकाश-संश्लेषण करते हैं एवं फंगस सहभागी शैवाल को आवरण प्रदान कर सुरक्षा प्रदान करती हैं । यदि फंगस के साथ ब्लू-ग्रीन शैवाल हैं तो वे नाइट्रोजन स्थिरीकरण भी करते हैं ।
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लाइकेन कई प्रकार के हो सकते हैं:
(1) फैले-हुए-पड़े- क्रस्टोज लाइकेन (crustose lichen)
(2) पत्ती समान- फोलियोज लाइकेन (foliose lichen)
(3) शाखा वाले- फ्रूटिकोज (fruiticose lichen)
उजाड़ स्थान जहाँ किसी भी प्रकार की वनस्पति का अस्तित्त्व नहीं होता, सर्वप्रथम लाइकेन ही अस्तित्त्व में आते हैं । इनके द्वारा भूमि-निर्माण से माँस एवं फर्न पौधे उगने लगते हैं । कुछ लाइकेन पशुओं के खाने के काम आते हैं । कुछ के औषधीय उपयोग हैं । pH ज्ञात करने का लिटमस पेपर लाइकेन से बनता है । कुछ प्रकार के लिटमस से सुगंधित पदार्थ एवं टेनिन भी बनते हैं ।
लाइकेन के प्रमुख उदाहरण हैं:
(1) ग्रेन्यूलर लाइकेन, ग्रेफिस (Graphis)
(2) पत्तीनुमा लाइकेन, पारमेलिया (Parmellia)
(3) दाढ़ीनुमा लाइकेन, उसनिया (Usnea)